नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्दचित्र प्रस्तुत करें।

बादलों की गड़गड़ाहट नीलकंठ के मन को खुश कर देती थी। नीलकंठ तुरंत अपने पंखों को फैला लेता था। जैसे-जैसे बादलों के गरजने की आवाज बढ़ती जाती उसके नाचने का वेग बढ़ता जाता। नीलकंठ को ऐसा देख जालीघर में बांध सभी जीव-जंतु बस उसे देखते रह जाते।


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